*ग्राम पंचायत फैज़पुर निनाना में प्रदूषण के खिलाफ अभियान का शुभारंभ, पर्यावरण संरक्षण के लिए लिया संकल्प*
*बागपत, उत्तर प्रदेश:* बढ़ते प्रदूषण की चुनौती को देखते हुए ग्राम पंचायत फैज़पुर निनाना के प्राथमिक विद्यालय नंबर 01 में एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें ग्राम प्रधान प्रीति देवी ने आंगनवाड़ी, आशा कार्यकर्ताओं, और महिला कृषकों के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण पहल का शुभारंभ किया। इस बैठक में ग्राम पंचायत ने पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाते हुए पराली जलाने से बचने और दीपावली को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाने का संकल्प लिया।
प्रदूषण के विरुद्ध संघर्ष की दिशा में नई पहल
ग्राम प्रधान प्रीति देवी ने कहा कि बागपत जिला, जो कभी विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल था, अब पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की ओर कदम बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सभी ग्रामीणों का सहयोग आवश्यक है ताकि भविष्य में हमारे बच्चे स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकें। बैठक के दौरान ग्राम प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि पराली जलाने के कारण वायु में भारी मात्रा में प्रदूषक तत्व फैलते हैं, जो न केवल स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी गहरा नुकसान पहुंचाते हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि पराली को जलाने के बजाय उसे खाद बनाने, पशुओं के चारे में परिवर्तित करने या कृषि में अन्य तरीकों से इस्तेमाल करने पर विचार करना चाहिए। ग्राम पंचायत ने ग्रामीणों को यह संदेश दिया कि पराली जलाना एक अस्थायी समाधान है, जबकि इसके अन्य उपयोग से स्थायी लाभ मिल सकते हैं। इस मौके पर ग्राम प्रधान ने कहा, "हमें अपने छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा परिवर्तन लाने की जरूरत है। जब तक हम सभी इस कार्य में योगदान नहीं देंगे, तब तक हम अपने गांव को स्वच्छ नहीं बना सकते।"
दीपावली को पर्यावरण-अनुकूल बनाने का संकल्प
बैठक में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रोहित धनकड़ ने दीपावली पर पटाखे जलाने से होने वाले ध्वनि और वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दीपावली के दौरान पटाखों से उत्पन्न धुआं वायु को प्रदूषित करता है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब समय आ गया है कि हम अपने रीति-रिवाजों में सकारात्मक बदलाव लाएं और दीवाली को एक खुशियों के पर्व के रूप में मनाते हुए पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
रोहित धनकड़ ने यह भी कहा कि, "दीपावली का पर्व हमें भगवान राम के आदर्शों की याद दिलाता है, जो शांति, सद्भावना, और सत्य के प्रतीक हैं। हमें चाहिए कि हम इस पर्व को पटाखों के शोर और धुएं से दूर रखकर जरूरतमंद लोगों की सहायता करें और समाज में एक सकारात्मक संदेश दें।" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ग्रामीण अपने घरों में दीप जलाकर, दीयों और फूलों से सजावट कर, तथा अपने परिवार के साथ मिलकर त्यौहार मनाएं। इससे ना केवल वातावरण स्वच्छ रहेगा बल्कि पारिवारिक संबंध भी मजबूत होंगे।
महिलाओं की भूमिका और जागरूकता का प्रसार
इस पहल में आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की भी अहम भूमिका है, जो इस संदेश को गांव-गांव और घर-घर तक पहुंचाने का कार्य करेंगी। महिलाओं ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और प्रदूषण के विरुद्ध इस जंग में अपनी जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लिया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने कहा कि वे ग्रामीणों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करेंगी और उन्हें पराली का उचित उपयोग सिखाएंगी। आशा कार्यकर्ता ने कहा कि दीपावली के अवसर पर पटाखों के बजाए अन्य तरीकों से त्यौहार मनाने की पहल को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।
सामूहिक प्रयास से होगा परिवर्तन
ग्राम प्रधान प्रीति देवी ने अंत में कहा कि केवल सरकारी नीतियों और योजनाओं पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने सभी ग्रामीणों को प्रदूषण के खिलाफ एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया और कहा कि "पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान आवश्यक है। यदि हम सभी अपनी छोटी-छोटी आदतों में बदलाव लाकर जिम्मेदारी से काम करें, तो हम एक स्वच्छ और हरित गांव का निर्माण कर सकते हैं।"
ग्राम प्रधान ने जोर देकर कहा कि यह केवल एक अभियान नहीं है, बल्कि एक संकल्प है, जिसे हमें हर दिन अपने जीवन में लागू करना है। उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक बनाना चाहिए, ताकि वे भी इस दिशा में अपने कदम बढ़ा सकें।
ग्रामीणों का समर्थन और भविष्य की योजना
इस अवसर पर गांव के अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किए और ग्राम पंचायत द्वारा शुरू किए गए इस अभियान को पूर्ण समर्थन देने का संकल्प लिया। ग्रामीणों ने पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने का वादा किया और प्रदूषण कम करने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कही।
ग्राम पंचायत फैज़पुर निनाना का यह कदम न केवल एक गांव के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा बनेगा। इस अभियान के माध्यम से अन्य गांवों को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे भी प्रदूषण के विरुद्ध ऐसे प्रयास करें और पर्यावरण के संरक्षण में अपनी भूमिका निभाएं।
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